पटना, 24 जुलाई 2025 – बिहार विधानसभा का मानसून सत्र शोर-शराबे, नारेबाज़ी और विपक्षी दलों के तीखे विरोध के साथ शुरू हुआ। इस सत्र में मुख्य विपक्षी दलों—RJD, कांग्रेस और CPI—ने सरकार की कई नीतियों पर विरोध जताया और हंगामा किया। इस खबर में हम विस्तार से देखेंगे कि विरोध के प्रमुख बिंदु क्या थे, विपक्षी नेता क्या मांग कर रहे हैं, सत्र में किस प्रकार की राजनीति दिखाई दी, और क्या था सरकार का रुख।
विरोध की शुरुआत और नारों के साथ हंगामा
सत्र की शुरुआत होते ही RJD के विधायक सीएम महागठबंधन की करने लगे और सरकार को अलोकतांत्रिक बताते हुए नारेबाज़ी शुरू कर दी। झारखंड की घटनाओं, पुलिस कार्रवाई, अगल-बगल प्रदेशों में कानून व्यवस्था की स्थिति, बेरोज़गारी और महंगाई जैसे मुद्दों पर विपक्ष के नेता सवाल उठाते रहे। कांग्रेस और CPI ने भी समर्थन किया और पूरे विधानसभा हॉल को नारों और तख्तियाँ लेकर गूंजा दिया।
मुद्दा 1: बेरोज़गारी और महंगाई
Opposition ने केन्द्र और राज्य सरकारों पर निशाना साधा कि बेरोज़गारी चरम सीमा पर है, औद्योगिक इकाइयां बंद हो रही हैं, कृषि क्षेत्र में किसानों की आय घट रही है, और पेट्रोल-डीज़ल की कीमतों में असहनीय वृद्धि हो रही है। RJD नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि युवा रोजगार के लिए मजबूर हो रहे हैं, किसान कर्ज लेने पर विवश हो रहे हैं और मेहनतकशों को राहत बताने वाली योजनाएँ सिर्फ काग़जों तक सीमित हैं।
मुद्दा 2: जमीनी विकास का रोना
विपक्ष में यह दावा भी उठा कि बिहार में सड़क, पुल, बिजली, पानी और स्वच्छता जैसी बुनियादी सुविधाएँ गरीब गाँवों में तक पहुँच नहीं रही। किसानों को सिंचाई परियोजनाओं से वंचित रखा जा रहा है। कांग्रेस विधायकों ने कहा कि मंत्रालयों में खर्च की रिपोर्ट उदार दिखती है लेकिन जनता की झोली खाली है।
मुद्दा 3: कानून-व्यवस्था और महिला सुरक्षा
पिछले कुछ महीनों में बिहार के कई जिलों में महिला उत्पीड़न, बच्चियों के साथ अपराध और पुलिस की लापरवाही की शिकायतें आई हैं। CPI के वरिष्ठ नेता दूसरी कार्रवाई और गंभीर जांच की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कानून केवल कागजों में मौजूद है—स्थानीय पुलिस में भरोसा खत्म हो चुका है।
सत्र का प्रमुख मोर्चा: RJD–कांग्रेस–CPI का संयुक्त मोर्चा
यह विरोध योजनाबद्ध रूप से आगे बढ़ा। तीनों दलों ने मिलकर यह तय किया कि जब तक सरकार गंभीर मुद्दों पर लिखित आश्वासन नहीं देती, वे आवाज़ बुलंद करते रहेंगे। RJD के विधायक सड़क पर प्रदर्शन कर रहे लोगों से जुड़ने लगे, कांग्रेस ने सोशल मीडिया अभियान शुरू किया, और CPI ने “मूलभूत अधिकारों का हनन” बताते हुए मांग पत्र सौंपा।
विपक्ष की रणनीति
- सरकार से लिखित आश्वासन – रोजगार, किसान ऋण माफी, महिला सुरक्षा और कानून व्यवस्था में सुधार के लिए पंचबद्ध घोषणा पत्र जारी करने की मांग
- ज्वाइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस – तेजस्वी यादव, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और CPI नेताओं ने मीडिया को बताया कि सरकार जनता के सवालों से भाग रही है
- विधानसभा में प्रस्ताव पेश करना – opposition ने विधायकों के साथ विधायिका में चर्चा करने की अग्रह जताई, लेकिन विधायकों की मौजूदगी कम होने की वजह से सत्र कुछ समय बाधित रहा
सरकार का रुख
विपक्ष के दबाव को पूरा खारिज करते हुए, विधानसभा में सरकार की तरफ से कहा गया कि विपक्ष सत्र को बाधित कर विधानसभा के काम को रोकना चाह रहा है। मंत्री और मुख्यमंत्री ने दोहराया कि राज्य सरकार ने तकनीकी शिक्षा, कृषि, स्वास्थ्य और सड़क-विद्युत सुधार में कई योजनाएँ शुरू की हैं। साथ ही पानी एवं बिजली सब्सिडी, माइक्रो-योजना ऋण, स्वरोजगार परियोजना इत्यादि कार्यक्रमों का व्यापक उल्लेख किया गया।
संसदीय कार्रवाई और गहराई
विपक्षी विधायकों ने प्रस्तावों को न सुनने की बात कही और इस्तीफे तक की चेतावनी दी। हालांकि, अध्यक्ष ने संयम बनाए रखा और कहा कि सत्र नियमों के अनुसार चलना चाहिए। सत्र के दौरान दो घंटे तक सभागार में नारों के बीच काम प्रभावित हुआ, लेकिन बाद में सदन चलना आरंभ हुआ।
निचली सदन में:
- प्रश्नकाल में विपक्ष ने 50 से अधिक सवाल उठाए, और मंत्री ने जवाब दिया
- दो अहम बिलों पर चर्चा हुई, लेकिन विपक्षी नारों से संदेश गया कि सत्र तनावपूर्ण है
- कार्यस्थलों पर छंटनी और शिक्षा क्षेत्र में नीतिगत अंतर को लेकर ज्वलंत चर्चाएँ हुईं।
झड़प और प्रदर्शन
- RJD विधायकों ने सड़क पर ग़ुस्से के साथ मोर्चा लिया
- कांग्रेस ने सोशल मीडिया के ज़रिए #बेरोज़गारी, #महंगीवालीबात का ट्रेंड सोशल प्लेटफ़ॉर्म पर चलाया
- CPI ने जिला नेतृत्व के साथ धरना दिया और भविष्य में बड़े विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया
विपक्ष के असली लक्ष्य
- आगामी लोकसभा चुनाव में momentum बनाना
- सरकार को जनता के मुद्दों पर रक्षा के लिए पुश करना
- छात्र, युवा और किसान वर्ग को अपने साथ जोड़ना
- आबादी पर दबाव बनाए रखना कि उनके सामने वास्तविक समस्या यह रही है नौकरी, मूल्य वृद्धि, कानून व्यवस्था
आगे की संभावना
- यदि सरकार लक्षित बदलाव का संकेत करती है, तो opposition आंदोलन लंबा नहीं चलेगा।
- आवंटित संसदीय एजेंडे—जैसे बजट संशोधन, पेपरलेस विवेचना—सक्रियता से आगे बढ़ेंगे
- यदि सरकार कठोर बनी रही, तो विधानसभा की कार्रवाई विफल हो सकती है और विरोध तेज हो सकता है।
क्या वैश्विक उदाहरण हैं?
राजनीति के इसी प्रकार के प्रदर्शन पश्चिमी लोकतंत्रों में भी देखने को मिलते हैं—जहाँ विरोध विपक्ष की आवाज़ को ज़ोरदार बनाते हुए व्यवस्था पर दबाव बनाती है। बिहार में यह पहला मौका नहीं है और भविष्य में भी ऐसा विरोध स्थानीय प्रतिध्वनि जगाने का माध्यम बन सकता है।
निष्कर्ष
इस मानसून सत्र की शुरुआत लोकतांत्रिक चर्चा से नहीं बल्कि विरोध-प्रदर्शन से हुई है। RJD, कांग्रेस और CPI ने मिलकर सत्ता पर दबाव बनाने की रणनीति अपनाई है। विपक्ष सरकार से कृषि, रोजगार, महिला सुरक्षा और गरीबों को राहत देने के सरकारी कामों में स्पष्टता चाहता है। यदि सरकार संवेदनशील नहीं हुई, तो यह सत्र राज्य की राजनीति में नए मूड पैदा कर सकता है।
Disclaimer
यह लेख केवल सूचना एवं विश्लेषण के उद्देश्य से लिखा गया है। इसे किसी भी रूप में आधिकारिक घोषणा या निर्देश नहीं समझा जाए। कृपया अपनी राय और निर्णय के लिए स्वतंत्र रूप से सत्यापन और स्वतंत्र शोध करें।