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संसद का मानसून सत्र 2025: पहले दिन की कार्यवाही और मुख्य घटनाक्रम

नई दिल्ली, 21 जुलाई 2025 – संसद का मानसून सत्र मंगलवार से शुरू हुआ और पहले ही दिन हंगामा, गहमागहमी और विविध मुद्दों पर तीखी बहस देखने को मिली। सत्र की शुरुआत प्रधानमंत्री के अभिभाषण से हुई, लेकिन विपक्ष के समर्थन ने इसे तुरंत राजनीति से जोड़ा दिया। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे:

  1. सत्र की शुरुआत और रूपरेखा

  2. प्रधानमंत्री की पत्रकार चर्चा

  3. विपक्षी दलों द्वारा उठाए गए महत्वपूर्ण मुद्दे

  4. सदन में दिखाई गयी तीखी बहसें

  5. विधेयक प्रस्ताव और उनका महत्व

  6. सरकार का रुख और भविष्य की संभावना

  7. सामाजिक और लोकतांत्रिक परिप्रेक्ष्य

 सत्र की शुरुआत और स्वरूप

संसद का मानसून सत्र 2025 औपचारिक रूप से राष्ट्रपति की ओर से सदन में संचार के बाद शुरू हुआ। बाद में प्रधानमंत्री ने अपनी पारंपरिक पत्रकार चर्चा में देश की मौजूदा स्थिति, नीतियों और आगामी योजनाओं को transparently बताया। हालांकि विपक्ष ने तुरंत संचार के दौरान आरोप–प्रत्यारोप शुरू किए।

 प्रधानमंत्री का अभिभाषण

प्रधानमंत्री ने यह बताया कि मानसून सत्र में सरकार कृषि, आर्थिक सुधार, महिलाओं की सुरक्षा और शिक्षा जैसे प्रमुख क्षेत्रों में सुधार प्रस्तावित करेगी। साथ ही नयी योजनाओं के माध्यम से जनता तक विकास की दिशा ताकत से ले जाने का आश्वासन भी दिया।

 विपक्ष का प्रमुख हंगामा

महंगाई तथा बेरोज़गारी
विपक्ष ने महंगाई में हो रही तेज़ बढ़ोतरी, ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में बढ़ती बेरोज़गारी, तथा पेट्रोल‑डीज़ल के दामों के आसमान को लेकर सवाल उठाए।
कानून-व्यवस्था
कुछ राज्यों में बढ़ते अपराधों, महिलाओं के साथ घटित घटनाओं की रिपोर्ट और स्थानीय पुलिस की कार्यप्रणाली पर तीखी आलोचना हुई।
वित्तीय पारदर्शिता और भ्रष्टाचार
विपक्ष ने पूंजीगत निवेश, सार्वजनिक धन के उपयोग और कुछ बड़े परियोजनाओं में पारदर्शिता की कमी को भी उठाया।

 सदन में तीखी बहस

  • सत्र की शुरूआत विपक्ष की नाराजगी और सदन की कार्यवाही पर सवाल उठाकर हुई।

  • प्रश्नकाल में विपक्ष ने करीब 100 से अधिक प्रश्न उठाए, लेकिन मंत्री समय पर संतोषजनक जवाब देने में विफल रहे।

  • कांग्रेस और अन्य दलों के साथ सदन में RJD, CPI, AAP के सदस्य भी शामिल हुए।

  • गृहमंत्री और श्रम मंत्री से बिना अपेक्षित स्पष्टीकरण मिलने पर विपक्ष हंगामा करता रहा।

 संशोधित विधेयक प्रस्ताव

इस सत्र में सरकार ने जो संशोधित विधेयक प्रस्तुत किए, उनमें प्रमुख हैं:

  1. शहरी सुधार विधेयक – नगर विकास और स्वच्छता बढ़ाने के लिए प्रस्तावित

  2. शिक्षा सुधार विधेयक – स्कूली शिक्षा में परिवर्तन लाने के प्रयास

  3. कृषि बजट विधेयक – कर्ज माफी, फसल बीमा और स्थानीय फार्म तंत्र को सुधारने का उद्देश्य

विशेष रूप से कृषि बजट विधेयक को विपक्ष ने कृषि क्षेत्र की वास्तविक समस्याओं से जोड़कर चर्चा के लिए प्रस्तुत किया, लेकिन बहसबाजी व नारों ने सदन को फिर विघ्नित कर दिया।

 सरकार का रुख और जवाब

सरकार ने सदन में उठ रहे हर मुद्दे पर detailed जवाब देने की कोशिश की और कहा कि कई योजनाएं जैसे ग्रामीण विधुत योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, तथा महिला सुरक्षा अधिनियम पहले ही लागू होंने योग्य हैं। हालांकि विपक्ष ने आरोप लगाया कि धरातल पर कार्यान्वयन धीमा है।

 लोकतांत्रिक प्रक्रिया और भविष्य

  • विपक्ष की सक्रियता और जोरदार प्रयास संवैधानिक ढांचे में लोकतंत्र की जीवंतता को दर्शाते हैं।

  • सत्र के दौरान सभापति ने सदन का नियंत्रण बनाए रखा और नारियों को नियंत्रित किया।

  • यदि शांति से बहस जारी रहती है तो अगले दो दिनों में कुछ विधेयकों पर निर्णय होने की संभावना है।

  • यदि हंगामा जारी रहा, तो संसद की अन्य एजेंडे जैसे बजट संशोधन, वित्तीय चर्चा, और लोकसभा में कानून पारित होना प्रभावित हो सकता है।

 निष्कर्ष

मानसून सत्र का पहला दिन विपक्षी प्रदर्शनों और केंद्रीय मुद्दों पर अभिवादन के बीच बीता। विपक्ष ने महंगाई, बेरोज़गारी, कानून‑व्यवस्था और भ्रष्टाचार के मुद्दों को विधिवत उठाया। सरकार ने योजनाओं और विकास की तस्वीर पेश करने की कोशिश की। अब यह देखना होगा कि आगामी दिनों में सत्र चर्चा के लिए खुलता है या विरोध चलने के लिए।

 अस्वीकरण

यह लेख केवल जानकारी और विश्लेषण हेतु प्रस्तुत किया गया है और इसे किसी भी रूप में सरकारी घोषणाओं या कानूनी सूचना के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। कृपया आधिकारिक सूत्र अथवा संसदीय रिकॉर्ड से भी सत्यापन करें।

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